बृजघाट - गढ़मुक्तेश्वर वाले गुरू जी को समर्पित

बृजघाट वाले गुरू जी से हमारा परिचय मंयक चौधरी के परिवार ने कराया था। हमारी कई समस्याओं का निदान उनके स्वभाविक अध्यात्मिक सलाह व आशीर्वाद से हुआ। तब से उनके प्रति हमारी श्रद्धा व विश्वास चला आ रहा है।
अब गुरू जी पूर्ण समाधि में विलीन हो चुके हैं। उनको श्रद्धांजली स्वरूप यह रेखाचित्र बनाया था। आज जाके एक ब्लॉग पोस्ट के रूप में शेयर करने का मन हुआ।

बृजघाट वाले गुरू जी का मेरे द्वारा बनाया गया रेखाचित्र
बृजघाट वाले गुरू जी का मेरे द्वारा बनाया गया रेखाचित्र

अनन्त स्वर्गीय श्री विभूषित ओंकार पीठाधीश राजेश्वर दण्डी स्वामीजी गढ़मुक्तेश्वर, ब्रजघाट, गाजियाबाद(उ.प्र.)

इसी बीच में अपने गृह नगर चन्दौसी में अपने कागज़ात समेट रहा था तब मुझे चन्द्रप्रकाश यादव जी की लिखी एक पुस्तक: गुरू गीता मिली मन हुआ इतनी सुन्दर पुस्तक और उसके रचयिता के बारे में भी शेयर किया जाए।

प्रस्तुत है इसी पुस्तक और रचयिता के बारे में जानकारी।

पुस्तक का मुखपृष्ठ

गुरू गीता पुस्तक का मुखपृष्ठ
गुरू गीता पुस्तक का मुखपृष्ठ

पुस्तक का शीर्षक: गुरु- गीता 

जितलंग मेरे गुरु बसें उतकी चलियौ व्यार।
गुरुहि लागि हमकूँ लगे है जाइ बेड़ा पार ।। 
चन्द्रप्रकाश यादव 'चन्द'

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प्रस्तुत हैं इस पुस्तक: गुरू गीता से कुछ अंश
पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर यह स्तुति प्रकाशित है।

सर्व प्रथम गुरू जी की फोटो के साथ यह समर्पण प्रकाशित है।
श्री श्री 1008 परम पूज्य सद्गुरुदेव ओंकार राजेश्वर दण्डी स्वामी जी के श्री चरणों में

शिव के गण की जहाँ मुक्ति भई ब्रजघाट है शीतल छांइनु में।
गुरुदेव मेरे उत वास करें तन पीत पटी मन गाइनु में।
नद नंदन चाकर है जिनको बतराबत सूदे सुभांइनु में।
चहुँ ओर तें 'चन्द' हिरास भयौ तब आइ गिरौ गुरु पांइनु में।

ॐ स्तुति ॐ
हंसवाहिनी मात मैं प्रथम मनाऊँ तोइ । 
गुरु महिमा कछु लिखि सकूँ मात बुद्धि दै मोइ || १||

पहिलें सुमिरूं गुरु चरण फिरि गवरी पुत्र गणेश। 
जिनकी कृपा कटाक्ष सों रहै न कोई क्लेश || २ ||

श्री शंकर जी कौ सदा धरूं हृदय में ध्यान । 
मात शारदे तुरत ही आइ बताबै ज्ञान || ३ ||

गवरी पति किरपा करें पीकर के नित भंग। 
मौपै रखियौ कुशलता श्रीमाता जी गंग ||४||

चलत फिरत बैठत उठत सोवत जगत पियास । 
आशिस जल याचत फिरै 'चन्द' तिहारौ दास ||५||


कवि परिचय

गुरू गीता के रचियता चन्द्रप्रकाश यादव चन्द
गुरू गीता के रचियता चन्द्रप्रकाश यादव चन्द

नाम: चन्द्रप्रकाश यादव 'चन्द'
जन्म: कृष्ण जन्माष्टमी दिन चन्द्रवारसं० 2007 (4 दिसम्बर 1950 ई.) 
आत्मज: स्व. श्री मोहनलाल यादव एवं श्रीमती शिवप्यारी देवी

स्थान: फीरोजाबाद (उ.प्र.)
शिक्षा: एम.ए. (समाजशास्त्र, इतिहास, राजनीति शास्त्र)

उपाधियाँ:
1. 'बृजविभूति' अखिल भारतीय ब्रज साहित्य संगम मथुरा द्वारा
2. 'काव्य कला रत्न' संस्कार भारती फीरोजाबाद द्वारा
3. 'ब्रजभाषा गौरव' अखिल भारती साहित्य परिषद फीरोजाबाद द्वारा

सम्मान:
विविधि साहित्यिक तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा अभिनन्दन

प्रकाशन:
1. गोपीगर्जना (कवित्त संग्रह)
2. ग्यान की पंडित है गयौ गूंगी (सवैया संग्रह)
3. ब्रज बांसुरी (लोकगीत संग्रह)
4. गुरु गीता (भजन संग्रह)
5. अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित

प्रकाश्य:
1. गजल गामिनी (गजल संग्रह)
2. दुधारे दोहे (दोहा संग्रह)

सम्पर्क सूत्र: 
6, कटरा पठानान, 
फीरोजाबाद-283203 (उ.प्र.)
दूरभाष: 9897145508, 9897825510

मुद्रक:
आर० के० प्रिंटिंग प्रेस, कटरा सुनारान, फीरोजाबाद. मोबाइल. 9837909738


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